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Local community feasts Perform a substantial role in these situations, in which devotees come collectively to share foods That always involve standard dishes. These types of meals rejoice equally the spiritual and cultural components of the festival, improving communal harmony.

नवयौवनशोभाढ्यां वन्दे त्रिपुरसुन्दरीम् ॥९॥

ध्यानाद्यैरष्टभिश्च प्रशमितकलुषा योगिनः पर्णभक्षाः ।

॥ अथ त्रिपुरसुन्दर्याद्वादशश्लोकीस्तुतिः ॥

When Lord Shiva listened to about the demise of his wife, he couldn’t Manage his anger, and he beheaded Sati’s father. Nevertheless, when his anger was assuaged, he revived Daksha’s daily life and bestowed him that has a goat’s head.

ऐसा अधिकतर पाया गया है, ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं कर सकता है और जहां लक्ष्मी का विशेष आवागमन रहता है, वहां व्यक्ति पूर्ण ज्ञान से वंचित रहता है। लेकिन त्रिपुर सुन्दरी की साधना जोकि श्री विद्या की भी साधना कही जाती है, इसके बारे में लिखा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित्त होकर यह साधना सम्पन्न कर लेता है उसे शारीरिक रोग, मानसिक रोग और कहीं पर भी भय नहीं प्राप्त होता है। वह दरिद्रता के अथवा मृत्यु के वश में नहीं जाता है। वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से धन, यश, आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।

यह शक्ति वास्तव में त्रिशक्ति स्वरूपा है। षोडशी त्रिपुर सुन्दरी साधना कितनी महान साधना है। इसके बारे में ‘वामकेश्वर तंत्र’ में लिखा है जो व्यक्ति यह साधना जिस मनोभाव से करता है, उसका वह मनोभाव पूर्ण होता है। काम की इच्छा रखने वाला व्यक्ति पूर्ण शक्ति प्राप्त करता है, धन की इच्छा रखने वाला पूर्ण धन प्राप्त करता है, विद्या की इच्छा रखने वाला विद्या प्राप्त करता है, यश की इच्छा रखने वाला यश प्राप्त करता है, पुत्र की इच्छा रखने वाला पुत्र प्राप्त करता है, कन्या श्रेष्ठ पति को प्राप्त करती है, इसकी साधना से मूर्ख भी ज्ञान प्राप्त करता है, हीन भी गति प्राप्त करता है।

वृत्तत्रयं च धरणी सदनत्रयं च श्री चक्रमेत दुदितं पर देवताया: ।।

Celebrated with fervor in the course of Lalita Jayanti, her devotees seek her blessings for prosperity, knowledge, and liberation, discovering solace in her a variety of forms along with the profound rituals related to her worship.

She is also called Tripura simply because all her hymns and mantras have 3 clusters of letters. Bhagwan Shiv is believed to be her consort.

Often known as the goddess of wisdom, Shodashi guides her devotees toward clarity, insight, and better knowledge. Chanting her mantra enhances instinct, assisting men and women make wise choices and align with their inner truth. This reward nurtures a lifetime of integrity and function.

The reverence for Tripura Sundari transcends mere adoration, embodying the collective aspirations for spiritual expansion and the attainment of worldly pleasures and check here comforts.

श्रीमद्-सद्-गुरु-पूज्य-पाद-करुणा-संवेद्य-तत्त्वात्मकं

साम्राज्ञी सा मदीया मदगजगमना दीर्घमायुस्तनोतु ॥४॥

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